जानसठ रोड़ स्थित लाला जगदीश प्रसाद सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज, मुजफ्फरनगर में वन्दना स्थल पर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की जयन्ती हर्षोल्लासपूर्वक मनायी गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के प्रधानाचार्य सतीश उपाध्याय ने माँ शारदा के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्पार्चन के साथ किया। नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के चित्र पर भी प्रधानाचार्य जी ने माल्यार्पण किया। उन्होंने सुभाष चन्द्र बोस को भारत का सच्चा देशभक्त बताया। सुभाष चन्द्र बोस ने देश की स्वतंत्रता के लिए अंग्रेजों से जीवनभर संघर्ष किया। अंग्रेजी शासनकाल में भारतीयों के लिए सिविल सर्विस में जाना बहुत कठिन था किन्तु सुभाष चन्द्र बोस ने सिविल सर्विस की परीक्षा में चैथा स्थान प्राप्त किया था। इस अवसर पर प्रधानाचार्य ने सभी छात्रों से आह्वान किया कि नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के आदर्शों एवं सिद्धान्तों को अपने व्यवहारिक जीवन में अपनाकर देश सेवा करे।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्या जूली नामदेव ने सुभाष चन्द्र बोस के जीवन परिचय एवं उनके जीवन की घटनाओं पर प्रकाश डालते हुए कहा कि सुभाष चन्द्र बोस का जन्म 23 जनवरी, 1897 ई0 को कटक में हुआ था। इनके पिता जानकीनाथ बोस पेशे से वकील थे तथा माता प्रभावती कुशल गृहणी थी। सुभाष चन्द्र बोस ने 1937 में एक आॅस्ट्रियन युवती एमिली से विवाह भी किया था। नेता जी में राजाओं जैसा स्वाभिमान था, दूसरों का दुःख महसूस करने वाला हृदय था, सागर जैसी गम्भीरता, चट्टान जैसा मजबूत इरादा था, और इन सबसे बढकर अपने देश पर मर-मिटने की भावना थी। इन्हीं गुणों ने सुभाष को नेता जी बनाया। नेताजी के नाम से प्रसिद्ध सुभाष चन्द्र बोस ने सशक्त क्रांन्ति द्वारा भारत को स्वतन्त्र कराने के उद्देश्य से आजाद हिन्द फौज का गठन किया। नेताजी ने बर्मा में 1944 में अपना प्रसिद्ध नारा, ‘‘तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हे आजादी दँूगा‘‘ दिया। जीवनभर देश को आजाद कराने के लिए स्वतंत्रता आन्दोलन में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनकी मृत्यु विमान दुर्घटना में 18 अगस्त, 1945 ई0 में हुई।
इस शुभ अवसर पर आचार्य महेश कुमार, कुँवर पाल सिंह, प्रयाग सिंह, दिनेश कुमार, अमित पँवार, देवेन्द्र वर्मा, पंकज त्यागी, राजकमल वर्मा, विशाल शर्मा, अमित शर्मा, प्रविन्द्र कुमार, नीलम शर्मा,अनुष्का त्यागी, वन्दना शर्मा, आशीष त्रिपाठी, सतीश गुप्ता, अंकुर राजवंशी, विक्रान्त सैनी, सुनील पुण्डीर, रीता मावी, शालिनी ठाकुर आदि आचार्यगण व समस्त छात्र उपस्थित रहे।