सूरजभान सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर में आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रम को बड़े धूमधाम के साथ मनाया गया
आज दिनांक 10 सितंबर 2021 दिन शुक्रवार को सुरजभान सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज शिकारपुर बुलंदशहर में आजादी का मृत्यु महोत्सव कार्यक्रम बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया गया कार्यक्रम का प्रारंभ सर्वप्रथम मां सरस्वती एवं चंद्रशेखर आजाद के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं उत्पादन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया कार्यक्रम के संयोजक हिंदी विभाग के वरिष्ठ आचार्य राम सिंह जी रहे तथा संयोजक महोदय ने बताया कि यह कार्यक्रम अपनी भारतीय संस्कृति एवं राष्ट्रीय धरोहर को सुरक्षित रखने हेतु किया जा रहा है यह कार्यक्रम अगस्त माह से नवंबर माह तक चलेगा जो कि प्रतिदिन किसी एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी पर विचार रखकर कार्यक्रम को भव्य बनाया जाएगा तथा कार्यक्रम के अध्यक्ष विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रभात कुमार गुप्ता तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता के रूप में विद्यालय के छात्र भैया अभिषेक शर्मा रहे जिन्होंने चंद्रशेखर आजाद के जीवन वृतांत पर प्रकाश डाला तथा मुख्य वक्ता भैया अभिषेक शर्मा ने बताया की चंद शेखर आजाद एक निडर क्रांतिकारी और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे उनका जन्म 23 जुलाई उन्नीस सौ छह को हावड़ा गांव मध्य प्रदेश में हुआ था चंद्रशेखर आजाद जी ने आजाद नाम से भी जाना जाता है चंद्रशेखर आजाद का असली नाम चंद्रशेखर तिवारी था उनके पिता का नाम सीताराम तिवारी तथा माता का नाम जगरानी देवी था वह भगत सिंह के गुरु के रूप में भी जाने जाते हैं उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव में ही की और उच्च शिक्षा के लिए वह बनारस गई चंद्रशेखर आजाद जब केवल 15 वर्ष के थे तभी वे महात्मा गांधी के नेतृत्व वाले असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए और उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ अपनी क्रांति की शुरुआत की उस ब्रिटिश सरकार की पुलिस ने उन्हें क्रांतिकारी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण पकड़ लिया और उन्हें 15 गुणों की सजा दी गई 1925 की काकोरी ट्रेन डकैती में चंद्रशेखर आजाद का नाम शामिल था अतः चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह ने सितंबर 1928 में हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन का गठन किया शेखर आजाद ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला ब्रिटिश सरकार के जॉन सांडर्स की हत्या कर पूरा किया उनका एकमात्र उद्देश्य भारत को स्वतंत्र बनाना था तथा उन्होंने कहा दुश्मनों की गोलियों का हम सामना करेंगे आजाद ही रहे हैं आजाद ही रहेंगे 27 फरवरी 31 को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में चंद्रशेखर आजाद का निधन हो गया तथा उन्होंने अपनी ही पिस्टल से अपनी हत्या की क्योंकि उन्होंने कहा था कि मैं ब्रिटिश सरकार के हाथों द्वारा नहीं मारा जा सकता मैं आजाद हूं आजाद ही रहूंगा इस कारण चंद्रशेखर आजाद को भारत का सबसे महान स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी का दर्जा दिया जाता है लोग आज भी उन्हें याद करते हैं तथा उनकी जीवन का अनुसरण करने के लिए तत्पर तैयार रहते हैं कार्यक्रम के अंत में विद्यालय के प्रधानाचार्य प्रभात कुमार गुप्ता ने बताया कि हमें ऐसे महान क्रांतिकारी एवं देशभक्तों से प्रेरणा लेनी चाहिए कि हमें अपनी संस्कृति और राष्ट्रीय धरोहर का सम्मान रखने के लिए हम अपने कर्तव्य का पालन करें
इस अवसर पर विद्यालय की आचार्य हरकेश कुमार मीणा बृजेश तिवारी मुकेश चंद्र शर्मा ललित कुमार पाठक प्रेम बाबू कोमल सिंह आदि समस्त स्टाफ उपस्थित रहा