जानसठ रोड स्थित ला0 जगदीश प्रसाद प्रसाद सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज मुजफ्फरनगर में आयोजित डाॅ0 जगदीश चन्द्र बसु की जयन्ती हर्षोल्लास पूर्वक मनायी गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रधानाचार्य सतीश उपाध्याय ने माँ शारदा एवं जगदीश चन्द्र बसु के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर पुष्पार्चन के साथ किया। सरस्वती वन्दना के पश्चात् प्रधानाचार्य सतीश उपाध्याय ने बताया कि डाॅ0 जगदीश चन्द्र बसु पराधीन भारत के प्रथम वैज्ञानिक थे जिन्होंने सिद्ध करके बताया कि पेड-पौधों में भी संवेदना एवं जीवन होता है। पेड़-पौधे भी खाते-पीते, जागते, विश्राम तथा कार्य करते है। अतः ऐसे महान वैज्ञानिक को हमारा शत्-शत् नमन। समस्त छात्रों से आह्रवान किया कि डाॅ0 बसु के सिद्धान्तों एवं आदर्शों को अपने व्यावहारिक जीवन में अवश्य अपनाये।
जयन्ती की मुख्य वक्ता डाॅ0 वन्दना शर्मा ने बताया कि डाॅ0 जगदीश चन्द्र बसु का जन्म 30 नवम्बर, 1858 ई0 को पश्चिमी बंगाल में हुआ था। उनके पिता फरीदकोट के डिप्टी मजिस्टेªट थे। उन्होंने 1885 ई0 में कोलकाता के प्रेसीडेंसी काॅलेज में भौतिक विज्ञान के प्रोफेसर की नौकरी प्राप्त की। इन्होने अपने अन्वेषणों व प्रयोगों द्वारा सिद्ध कर दिखाया कि प्रत्येक वस्तु में जीवन व गति है। उन्होंने बताया कि 30 नवम्बर, 1917 को अपने 59 वें जन्मदिन पर बसु ने कोलकाता मे वसु मन्दिर की स्थापना की। उल्लेखनीय है कि उन्होंने उसे मंदिर कहा, प्रयोगशाला नही इसके निर्माण में इन्होने अपनी समस्त पूॅजी लगा दी। 23 नवम्बर 1937 ई0 को इस महान वैज्ञानिक का देहावसान हो गया इनके अनुसंधान संघर्षपूर्ण जीवन का उदाहरण है। वसु जी अपने जीवन के अन्तिम क्षण तक अनुसंधान कार्यों में लगे रहे।
इस शुभ अवसर पर आचार्य महेश कुमार, कुँवरपाल सिंह, देवेन्द्र वर्मा, पवन सैनी, मनोज कुमार, कैलाश चन्द्र शर्मा, विशाल शर्मा, धनप्रकाश वर्मा, अर्जुन सिंह, राजकमल वर्मा, उमेश कुमार ,पंकज त्यागी, उषा किरण, नीलम शर्मा, रीता मावी, विजया शर्मा, सरिता आदि शिक्षकगण व समस्त छात्र उपस्थित रहे।