भगवान परशुराम एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर जयन्ती-लाला जगदीश प्रसाद सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज, मुजफ्फरनगर-07/05/2019
Dec 31, 2009 – May 6, 2019
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Vidya Bharti Meerut Prant (Owner)
दिनांक 07/05/19 को जानसठ रोड़ स्थित लाला जगदीश प्रसाद सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर काॅलेज, मुजफ्फरनगर में आज भगवान परशुराम एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर की जयन्ती हर्षोंल्लासपूर्वक मनायी गयी। कार्यक्रम का शुभारम्भ सरस्वती वन्दना के पश्चात प्रधानाचार्य सतीश उपाध्याय द्वारा भगवान परशुराम एवं रवीन्द्रनाथ टैगोर के चित्र पर माल्र्यापण कर किया, तत्पश्चात् प्रधानाचार्य सतीश उपाध्याय ने कहा कि अन्यायी क्षत्रिय राजाओं से ऋषि मुनियों को कष्ट होते देखकर, उन्होंने अपना परशु उठाकर, उनका इक्कीस बार संहार किया, परन्तु न्यायी व शान्ति-प्रिय राजाओं को उन्होंने हाथ भी नहीं लगाया। साथ ही प्रधानाचार्य ने टैगोर के योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1901ई0 में टैगोर ने ‘शान्ति निकेतन’ की स्थापना की तथा गीताजंलि के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ ‘नोबेल पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य पवन चन्देल ने भगवान परशुराम के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान परशुराम जमदग्नि ऋषि के पुत्र थे, उनकी माता का नाम रेणुका था। भगवान परशुराम अनेक गुणों के स्वामी थे। आज्ञाकारी पुत्र, महान मातृ-पितृ भक्त, वीर योद्धा और धर्मशील के नाते उन्होंने अपना जीवन उन्नत किया। हमारे पूर्वजों का स्मरण, सदा प्रेरणा का अखण्ड का स्रोत रहा है। उनकी जीवनियों का अध्ययन हमारे लिए सदा ही शिक्षा प्रद एवं मार्गदर्शक सिद्ध हुआ है। कार्यक्रम के मुख्य वक्ता आचार्य तेजपाल सिंह ने रवीन्द्र नाथटैगोर के जीवन परिचय पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रवीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म 7 मई, 1861ई0 को कोलकाता में हुआ था। उनके माता पिता ब्राह्मण समाज के सक्रिय कार्यकर्ता थे, उन्होंने अपने पुत्र को बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन भेजा, परंतु 2 वर्ष की पढ़ाई के बाद बीच में छोड़कर स्वदेश लौटे तथा अपने समाज व देश कार्य में लग गए। टैगोर प्रतिभा के धनी व प्रकृति प्रेमी थे। गीत, कहानियाँ, नाटकों की रचना की। उन्होंने जातिवाद तथा भ्रष्टाचार का विरोध किया तथा उन्हें अंग्रेजों द्वारा प्राप्त ‘नाइट हुड(सर)’ की उपाधि को जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड के विरोध में वापस कर दी। अंत में अगस्त 1941ई0 में इनकी मृत्यु हो गई। इस शुभ अवसर पर समस्त शिक्षकगण एवं छात्र उपस्थित रहे।
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